بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمـَنِ الرَّحِيمِ |
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শুরু করছি আল্লাহর নামে যিনি পরম
করুণাময়, অতি দয়ালু।
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عَبَسَ وَتَوَلَّى
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01
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তিনি ভ্রূকুঞ্চিত করলেন এবং মুখ ফিরিয়ে
নিলেন।
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أَن جَاءهُ
الْأَعْمَى
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02
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কারণ,
তাঁর
কাছে এক অন্ধ আগমন করল।
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وَمَا يُدْرِيكَ
لَعَلَّهُ يَزَّكَّى
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03
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আপনি কি জানেন, সে হয়তো পরিশুদ্ধ হত,
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أَوْ يَذَّكَّرُ
فَتَنفَعَهُ الذِّكْرَى
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04
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অথবা উপদেশ গ্রহণ করতো এবং উপদেশ তার
উপকার হত।
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أَمَّا مَنِ
اسْتَغْنَى
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05
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পরন্তু যে বেপরোয়া,
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فَأَنتَ لَهُ
تَصَدَّى
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06
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আপনি তার চিন্তায় মশগুল।
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وَمَا عَلَيْكَ
أَلَّا يَزَّكَّى
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07
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সে শুদ্ধ না হলে আপনার কোন দোষ নেই।
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وَأَمَّا مَن جَاءكَ
يَسْعَى
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08
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যে আপনার কাছে দৌড়ে আসলো
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وَهُوَ يَخْشَى
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09
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এমতাবস্থায় যে, সে ভয় করে,
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فَأَنتَ عَنْهُ
تَلَهَّى
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10
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আপনি তাকে অবজ্ঞা করলেন।
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كَلَّا إِنَّهَا
تَذْكِرَةٌ
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11
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কখনও এরূপ করবেন না, এটা উপদেশবানী।
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فَمَن شَاء ذَكَرَهُ
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12
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অতএব,
যে ইচ্ছা
করবে, সে একে গ্রহণ করবে।
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فِي صُحُفٍ
مُّكَرَّمَةٍ
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13
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এটা লিখিত আছে সম্মানিত,
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مَّرْفُوعَةٍ
مُّطَهَّرَةٍ
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14
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উচ্চ পবিত্র পত্রসমূহে,
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بِأَيْدِي سَفَرَةٍ
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15
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লিপিকারের হস্তে,
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كِرَامٍ بَرَرَةٍ
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16
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যারা মহৎ,
পূত
চরিত্র।
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قُتِلَ الْإِنسَانُ
مَا أَكْفَرَهُ
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17
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মানুষ ধ্বংস হোক, সে কত অকৃতজ্ঞ!
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مِنْ أَيِّ شَيْءٍ
خَلَقَهُ
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18
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তিনি তাকে কি বস্তু থেকে সৃষ্টি করেছেন?
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مِن نُّطْفَةٍ
خَلَقَهُ فَقَدَّرَهُ
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19
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শুক্র থেকে তাকে সৃষ্টি করেছেন, অতঃপর তাকে সুপরিমিত করেছেন।
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ثُمَّ السَّبِيلَ
يَسَّرَهُ
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20
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অতঃপর তার পথ সহজ করেছেন,
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ثُمَّ أَمَاتَهُ
فَأَقْبَرَهُ
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21
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অতঃপর তার মৃত্যু ঘটান ও কবরস্থ করেন
তাকে।
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ثُمَّ إِذَا شَاء
أَنشَرَهُ
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22
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এরপর যখন ইচ্ছা করবেন তখন তাকে
পুনরুজ্জীবিত করবেন।
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كَلَّا لَمَّا يَقْضِ
مَا أَمَرَهُ
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23
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সে কখনও কৃতজ্ঞ হয়নি, তিনি তাকে যা আদেশ করেছেন,
সে তা
পূর্ণ করেনি।
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فَلْيَنظُرِ
الْإِنسَانُ إِلَى طَعَامِهِ
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24
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মানুষ তার খাদ্যের প্রতি লক্ষ্য করুক,
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أَنَّا صَبَبْنَا
الْمَاء صَبًّا
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25
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আমি আশ্চর্য উপায়ে পানি বর্ষণ করেছি,
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ثُمَّ شَقَقْنَا
الْأَرْضَ شَقًّا
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26
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এরপর আমি ভূমিকে বিদীর্ণ করেছি,
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فَأَنبَتْنَا فِيهَا
حَبًّا
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27
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অতঃপর তাতে উৎপন্ন করেছি শস্য,
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وَعِنَبًا وَقَضْبًا
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28
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আঙ্গুর,
শাক-সব্জি,
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وَزَيْتُونًا
وَنَخْلًا
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29
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যয়তুন,
খর্জূর,
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وَحَدَائِقَ غُلْبًا
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30
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ঘন উদ্যান,
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وَفَاكِهَةً وَأَبًّا
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31
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ফল এবং ঘাস
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مَّتَاعًا لَّكُمْ
وَلِأَنْعَامِكُمْ
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32
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তোমাদেরও তোমাদের চতুস্পদ জন্তুদের
উপাকারার্থে।
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فَإِذَا جَاءتِ
الصَّاخَّةُ
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33
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অতঃপর যেদিন কর্ণবিদারক নাদ আসবে,
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يَوْمَ يَفِرُّ
الْمَرْءُ مِنْ أَخِيهِ
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34
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সেদিন পলায়ন করবে মানুষ তার ভ্রাতার কাছ
থেকে,
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وَأُمِّهِ وَأَبِيهِ
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35
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তার মাতা,
তার পিতা,
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وَصَاحِبَتِهِ
وَبَنِيهِ
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তার পত্নী ও তার সন্তানদের কাছ থেকে।
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لِكُلِّ امْرِئٍ
مِّنْهُمْ يَوْمَئِذٍ شَأْنٌ يُغْنِيهِ
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সেদিন প্রত্যেকেরই নিজের এক চিন্তা
থাকবে, যা তাকে ব্যতিব্যস্ত করে রাখবে।
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وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ
مُّسْفِرَةٌ
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অনেক মুখমন্ডল সেদিন হবে উজ্জ্বল,
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ضَاحِكَةٌ
مُّسْتَبْشِرَةٌ
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39
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সহাস্য ও প্রফুল্ল।
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وَوُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ
عَلَيْهَا غَبَرَةٌ
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40
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এবং অনেক মুখমন্ডল সেদিন হবে ধুলি
ধূসরিত।
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تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ
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তাদেরকে কালিমা আচ্ছন্ন করে রাখবে।
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أُوْلَئِكَ هُمُ
الْكَفَرَةُ الْفَجَرَةُ
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তারাই কাফের পাপিষ্ঠের দল।
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